उत्तराखंड

एमडीडीए को अब किराए पर नहीं लेनी पड़ेगी जेसीबी,प्राधिकरण ने 37 लाख लागत से नई जेसीबी की क्रय, उपाध्यक्ष तिवारी...

धामी कैबिनेट के फैसले से संवरेगी आर्थिकी मत्स्य पालकों में भारी उत्साह, कहा घर के पास ही मिला बाजार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में अहम कदम मुख्यमंत्री धामी ने पर्वतीय जिलों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाओं को मंजूरी दी है स्थानीय किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष अनुदान आधारित योजनाएं शुरू की गई हैं : धामी कैबिनेट के फैसले के अनुसार स्थानीय पशुपालक, कुक्कुट पालक और मत्स्य पालक अपनी भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली आईटीबीपी को बेच सकेंगे स्थानीय ग्रामीणों को अपने उत्पादों के लिए घर के पास ही मिलेगा बाजार, वहीं वह अच्छी आय भी कर सकेंगे अर्जित प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ₹200 करोड़ की योजनाएं संचालित की जा रही हैं योजना के तहत राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में कोल्ड रनिंग वाटर में ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़ाया जाएगा रेनबो ट्राउट मछली की मार्केटिंग पर जोर मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जोड़ा जा रहा है देहरादून। कैबिनेट के फैसले को लेकर मत्स्य उत्पादकों में भारी उत्साह है। उन्होंने कहा कि धामी सरकार का यह फैसला उनकी आर्थिकी को संवारने में मील का पत्थर साबित होगा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्वतीय जिलों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाओं को मंजूरी दी है। इसी क्रम में स्थानीय किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष अनुदान आधारित योजनाएं शुरू की गई हैं। कैबिनेट फैसले के अनुसार स्थानीय पशुपालक, कुक्कुट पालक और मत्स्य पालक अपनी भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली आईटीबीपी को बेच सकेंगे। इससे जहां स्थानीय ग्रामीणों को अपने उत्पादों के लिए घर के पास ही बाजार मिलेगा, वहीं वह अच्छी आय भी अर्जित कर सकेंगे उत्तराखंड में मत्स्य पालन की बेहतर संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ₹200 करोड़ की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। योजना के तहत राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में कोल्ड रनिंग वाटर में ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। रेनबो ट्राउट मछली की विशेषता है कि यह ठंडे पानी में उत्पादित होती है। पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। मत्स्य विभाग इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करता रहा है। *रेनबो ट्राउट मछली की मार्केटिंग पर जोर* रेनबो ट्राउट जिसे आमतौर पर हिमालयन मछली भी कहा जाता है, के उत्पादन और मार्केटिंग पर सरकार खास जोर दे रही है। इस मछली का उत्पादन मुख्य रूप से चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर में किया जाता है। रेनबो ट्राउट महंगी होने से स्थानीय बाजारों में इसकी मांग कम है, लेकिन महानगरों में अच्छी डिमांड है। अब देश के दूसरे राज्यों में इसकी मार्केटिंग पर जोर दिया जा रहा है। इससे मत्स्य उत्पादक भी अच्छी आय अर्जित कर सकेंगे। राज्य सरकार ने मत्स्य सहकारी समितियों के माध्यम से मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने और मार्केटिंग के लिए उत्तरा फिश की स्थापना की है। उत्तरा फिश हिमालयी ट्राउट और अन्य स्थानीय मछलियों को बाजार दिलाने के लिए काम कर रही है। *कोट—-* हमारे प्रदेश में मत्स्य पालन की असीम संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जोड़ा जा रहा है।

धामी कैबिनेट के फैसले से संवरेगी आर्थिकी         देहरादून। कैबिनेट के फैसले को लेकर मत्स्य उत्पादकों में...

धामी कैबिनेट के फैसले से संवरेगी आर्थिकी मत्स्य पालकों में भारी उत्साह, कहा घर के पास ही मिला बाजार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में अहम कदम मुख्यमंत्री धामी ने पर्वतीय जिलों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाओं को मंजूरी दी है स्थानीय किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष अनुदान आधारित योजनाएं शुरू की गई हैं : धामी कैबिनेट के फैसले के अनुसार स्थानीय पशुपालक, कुक्कुट पालक और मत्स्य पालक अपनी भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली आईटीबीपी को बेच सकेंगे स्थानीय ग्रामीणों को अपने उत्पादों के लिए घर के पास ही मिलेगा बाजार, वहीं वह अच्छी आय भी कर सकेंगे अर्जित प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ₹200 करोड़ की योजनाएं संचालित की जा रही हैं योजना के तहत राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में कोल्ड रनिंग वाटर में ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़ाया जाएगा रेनबो ट्राउट मछली की मार्केटिंग पर जोर मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जोड़ा जा रहा है देहरादून। कैबिनेट के फैसले को लेकर मत्स्य उत्पादकों में भारी उत्साह है। उन्होंने कहा कि धामी सरकार का यह फैसला उनकी आर्थिकी को संवारने में मील का पत्थर साबित होगा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्वतीय जिलों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाओं को मंजूरी दी है। इसी क्रम में स्थानीय किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष अनुदान आधारित योजनाएं शुरू की गई हैं। कैबिनेट फैसले के अनुसार स्थानीय पशुपालक, कुक्कुट पालक और मत्स्य पालक अपनी भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली आईटीबीपी को बेच सकेंगे। इससे जहां स्थानीय ग्रामीणों को अपने उत्पादों के लिए घर के पास ही बाजार मिलेगा, वहीं वह अच्छी आय भी अर्जित कर सकेंगे उत्तराखंड में मत्स्य पालन की बेहतर संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ₹200 करोड़ की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। योजना के तहत राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में कोल्ड रनिंग वाटर में ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। रेनबो ट्राउट मछली की विशेषता है कि यह ठंडे पानी में उत्पादित होती है। पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। मत्स्य विभाग इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करता रहा है। *रेनबो ट्राउट मछली की मार्केटिंग पर जोर* रेनबो ट्राउट जिसे आमतौर पर हिमालयन मछली भी कहा जाता है, के उत्पादन और मार्केटिंग पर सरकार खास जोर दे रही है। इस मछली का उत्पादन मुख्य रूप से चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर में किया जाता है। रेनबो ट्राउट महंगी होने से स्थानीय बाजारों में इसकी मांग कम है, लेकिन महानगरों में अच्छी डिमांड है। अब देश के दूसरे राज्यों में इसकी मार्केटिंग पर जोर दिया जा रहा है। इससे मत्स्य उत्पादक भी अच्छी आय अर्जित कर सकेंगे। राज्य सरकार ने मत्स्य सहकारी समितियों के माध्यम से मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने और मार्केटिंग के लिए उत्तरा फिश की स्थापना की है। उत्तरा फिश हिमालयी ट्राउट और अन्य स्थानीय मछलियों को बाजार दिलाने के लिए काम कर रही है। *कोट—-* हमारे प्रदेश में मत्स्य पालन की असीम संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जोड़ा जा रहा है।

  देहरादून। कैबिनेट के फैसले को लेकर मत्स्य उत्पादकों में हमारे प्रदेश में मत्स्य पालन की असीम संभावनाएं हैं। मत्स्य...

प्रधानमंत्री आवास योजना के मानक मंथन कार्यक्रम को सम्बोधित करते ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी       देहरादून, 25...

  इस प्रकार के आयोजनों को ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने के प्रयास किए जाए - गणेश जोशी  ...

प्रधानमंत्री आवास योजना के मानक मंथन कार्यक्रम को सम्बोधित करते ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी इस प्रकार के आयोजनों को ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने के प्रयास किए जाए – गणेश जोशी मंत्री गणेश जोशी ने मानक मंथन के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है, जो भारतीय मानकों की चर्चा और उनके प्रोत्साहन के लिए समर्पित है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है : जोशी योजनान्तर्गत प्रति आवास रु 1.30 लाख की अनुदान राशि लाभार्थी को दी जा रही है : जोशी राज्य सरकार द्वारा किचन सामग्री बर्तन आदि खरीद हेतु प्रति लाभार्थी रू. 6000/- की दर से सहायता राशि दी जा रही है। इस प्रकार कुल रू. 1.73 लाख की धनराशि आवास निर्माण हेतु दी जा रही है : जोशी मंत्री जोशी ने सभी से आग्रह किया कि BIS प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें देहरादून, 25 अक्टूबर। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार को आज देहरादून आईएसबीटी स्थित एक निजी होटल में प्रधानमंत्री आवास योजना पर मानक मंथन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने मानक मंथन के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है, जो भारतीय मानकों की चर्चा और उनके प्रोत्साहन के लिए समर्पित है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद दूसरी फाइल प्रधानमंत्री आवास योजना की फाइल साइन की थी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत प्रति आवास रु 1.30 लाख की अनुदान राशि लाभार्थी को दी जा रही है। इसके अतिरिक्त शौचालय निर्माण हेतु रू. 12,000/- की धनराशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किचन सामग्री बर्तन आदि खरीद हेतु प्रति लाभार्थी रू. 6000/- की दर से सहायता राशि दी जा रही है। इस प्रकार कुल रू. 1.73 लाख की धनराशि आवास निर्माण हेतु दी जा रही है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत प्रथम फेज में SECC सर्वे 2011 में पात्र पाये गये सभी 12662 परिवारों को आवास आंवटित किया जा चुका है तथा कुल रू. 169.87 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत द्वितीय फेज में आवास प्लस सूची की स्थाई प्रतीक्षा सूची में सम्मिलित समस्त 56040 परिवारों को शत-प्रतिशत किया जा चुका है तथा कुल रू. 796.15 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री घोषणा के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 से आगामी वर्षों के लाभार्थियों हेतु प्रति लाभार्थी किचन सामग्री बर्तन खरीद हेतु दी जाने वाली अतिरिक्त सहायता धनराशि को रू0 5000/- से बढ़ाकर रू. 6000/- की गयी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार योजनान्तर्गत प्रारम्भ से अब तक कुल 68600 आवास आवंटित करते हुए कुल रू. 966.02 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि आज का कार्यक्रम एक ऐसे क्षेत्र पर केंद्रित है, जो लाखों भारतीयों के जीवन को प्रभावित करता है और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और इस योजना के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित भारतीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जो सभी के लिए आवास के लक्ष्य को साकार करने में सहायक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों को ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने के प्रयास किए जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराना है, ताकि हर भारतीय परिवार को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का स्थान मिल सके। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की सफलता न केवल इसके बुनियादी ढांचे के पैमाने पर, बल्कि बनाए जा रहे घरों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि यहाँ भारतीय मानक ब्यूरो की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। बीआईएस ने ऐसे मानकों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। जो सामग्री और निर्माण तकनीकों की सुरक्षा,स्थायित्व और टिकाऊपन सुनिश्चित करते हैं। चाहे वह सीमेंट, स्टील और कंक्रीट की गुणवत्ता हो या फिर प्लंबिंग, विद्युत फिटिंग, और आपदा-रोधी निर्माण तकनीक भारतीय मानकों ने PMAY के तहत उच्च गुणवत्ता वाले आवास निर्माण में स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं। ग्राम्य विकास मंत्री ने

प्रधानमंत्री आवास योजना के मानक मंथन कार्यक्रम को सम्बोधित करते ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी       देहरादून, 25...

प्रधानमंत्री आवास योजना के मानक मंथन कार्यक्रम को सम्बोधित करते ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी इस प्रकार के आयोजनों को ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने के प्रयास किए जाए – गणेश जोशी मंत्री गणेश जोशी ने मानक मंथन के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है, जो भारतीय मानकों की चर्चा और उनके प्रोत्साहन के लिए समर्पित है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है : जोशी योजनान्तर्गत प्रति आवास रु 1.30 लाख की अनुदान राशि लाभार्थी को दी जा रही है : जोशी राज्य सरकार द्वारा किचन सामग्री बर्तन आदि खरीद हेतु प्रति लाभार्थी रू. 6000/- की दर से सहायता राशि दी जा रही है। इस प्रकार कुल रू. 1.73 लाख की धनराशि आवास निर्माण हेतु दी जा रही है : जोशी मंत्री जोशी ने सभी से आग्रह किया कि BIS प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें देहरादून, 25 अक्टूबर। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार को आज देहरादून आईएसबीटी स्थित एक निजी होटल में प्रधानमंत्री आवास योजना पर मानक मंथन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने मानक मंथन के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है, जो भारतीय मानकों की चर्चा और उनके प्रोत्साहन के लिए समर्पित है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद दूसरी फाइल प्रधानमंत्री आवास योजना की फाइल साइन की थी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत प्रति आवास रु 1.30 लाख की अनुदान राशि लाभार्थी को दी जा रही है। इसके अतिरिक्त शौचालय निर्माण हेतु रू. 12,000/- की धनराशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किचन सामग्री बर्तन आदि खरीद हेतु प्रति लाभार्थी रू. 6000/- की दर से सहायता राशि दी जा रही है। इस प्रकार कुल रू. 1.73 लाख की धनराशि आवास निर्माण हेतु दी जा रही है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत प्रथम फेज में SECC सर्वे 2011 में पात्र पाये गये सभी 12662 परिवारों को आवास आंवटित किया जा चुका है तथा कुल रू. 169.87 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत द्वितीय फेज में आवास प्लस सूची की स्थाई प्रतीक्षा सूची में सम्मिलित समस्त 56040 परिवारों को शत-प्रतिशत किया जा चुका है तथा कुल रू. 796.15 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री घोषणा के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 से आगामी वर्षों के लाभार्थियों हेतु प्रति लाभार्थी किचन सामग्री बर्तन खरीद हेतु दी जाने वाली अतिरिक्त सहायता धनराशि को रू0 5000/- से बढ़ाकर रू. 6000/- की गयी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार योजनान्तर्गत प्रारम्भ से अब तक कुल 68600 आवास आवंटित करते हुए कुल रू. 966.02 करोड़ की धनराशि का व्यय किया गया है। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि आज का कार्यक्रम एक ऐसे क्षेत्र पर केंद्रित है, जो लाखों भारतीयों के जीवन को प्रभावित करता है और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और इस योजना के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित भारतीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जो सभी के लिए आवास के लक्ष्य को साकार करने में सहायक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों को ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने के प्रयास किए जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराना है, ताकि हर भारतीय परिवार को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का स्थान मिल सके। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की सफलता न केवल इसके बुनियादी ढांचे के पैमाने पर, बल्कि बनाए जा रहे घरों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि यहाँ भारतीय मानक ब्यूरो की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। बीआईएस ने ऐसे मानकों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। जो सामग्री और निर्माण तकनीकों की सुरक्षा,स्थायित्व और टिकाऊपन सुनिश्चित करते हैं। चाहे वह सीमेंट, स्टील और कंक्रीट की गुणवत्ता हो या फिर प्लंबिंग, विद्युत फिटिंग, और आपदा-रोधी निर्माण तकनीक भारतीय मानकों ने PMAY के तहत उच्च गुणवत्ता वाले आवास निर्माण में स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं। ग्राम्य विकास मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बाईएस ने देशभर में 10,000 से अधिक मानक क्लबों का गठन किया है। जो छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित कर रहे हैं और भविष्य की गुणवत्ता के नेतृत्व को आकार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह त्यौहारों का समय है, जब उपभोक्ता गतिविधियाँ भी चरम पर होती हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि BIS प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें। मंत्री ने बीआईएस को हॉलमार्किंग योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए भी बधाई भी दी। उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो के निरंतर प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर निदेशक सौरभ तिवारी, संयुक्त निदेशक सचिन चौधरी, परियोजना निदेशक ग्राम विकास संजीव राय, मानक संवधर्न अधिकारी सरिता त्रिपाठी, पीडी ग्राम विकास विक्रम सिंह सहित विभिन्न स्थानों से कई ग्राम प्रधान भी उपस्थित रहे।

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