मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन से सजी पीआरएसआई प्रदर्शनी में एएसआई के 44 मंदिरों, एपण कला और एसडीआरएफ के शौर्य ने बटोरा ध्यान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन से सजी पीआरएसआई प्रदर्शनी में एएसआई के 44 मंदिरों, एपण कला और एसडीआरएफ के शौर्य ने बटोरा ध्यान

देहरादून। पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आज सोमवार सायं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया। अधिवेशन में रूस से आए प्रतिनिधियों सहित देशभर की विभिन्न संस्थाओं से आए 300 से अधिक जनसंपर्क एवं संचार विशेषज्ञों ने सहभागिता की और अपने विचार साझा किए। अधिवेशन में प्रतिभाग कर रहे प्रतिनिधियों को उत्तराखंड की लोक विरासत, संस्कृति, कला और विकास की झलक दिखाने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी विभागों एवं गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसने सभी आगंतुकों को गहराई से प्रभावित किया।

 

देहरादून के सहस्रधारा रोड स्थित द एमराल्ड ग्रैंड होटल में आयोजित इस अधिवेशन के दौरान लगभग डेढ़ दर्जन स्टॉल लगाए गए। इनमें सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, उत्तराखंड, आंचल दूध, उत्तराखंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट काउंसिल, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए), उत्तराखंड ऑर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड, चीफ इलेक्शन ऑफिसर उत्तराखंड, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ), भारतीय ग्रामोत्थान संस्था ऋषिकेश, ऐपण आर्ट ऑफ उत्तराखंड, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई), राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल तथा हाउस ऑफ हिमालय सहित अनेक स्टॉल शामिल रहे। इस प्रदर्शनी में उत्तराखंड के धर्म-आध्यात्म, लोकसंस्कृति, हस्तशिल्प, महिला सशक्तीकरण, आपदा प्रबंधन और विकास की समग्र तस्वीर उभरकर सामने आई।

 

*अपने घर का सपना साकार कर रहा एमडीडीए*

पीआरएसआई के तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन में एमडीडीए और आंचल दूध के स्टॉल देशभर से आए प्रतिनिधियों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। देहरादून में अपना आशियाना बनाने की चाह लगभग हर व्यक्ति की होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए एमडीडीए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन एवं उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी के कुशल नेतृत्व में एक ओर शहर को स्वच्छ, सुंदर और सुव्यवस्थित बनाने में जुटा है, वहीं आम आदमी के सपनों का घर साकार करने की दिशा में भी लगातार कार्य कर रहा है। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि देहरादून को स्वच्छ, हरा-भरा और पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक बनाने के लिए कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। ये परियोजनाएं न केवल आवास की कमी को दूर करेंगी, बल्कि दून घाटी की प्राकृतिक सुंदरता के संरक्षण में भी सहायक होंगी। शहर की बढ़ती आबादी और शहरी आवश्यकताओं को देखते हुए एमडीडीए द्वारा आवासीय परियोजनाओं को गति दी जा रही है। हाल ही में किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए नए आवासीय प्रोजेक्ट्स हेतु लैंड बैंक बनाने का निर्णय लिया गया है। आईएसबीटी और आमवाला तरला जैसी सफल योजनाओं के बाद अब धौलास आवासीय परियोजना पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट नगर और सहस्रधारा रोड पर ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी श्रेणी के फ्लैट्स की योजनाएं भी प्रगति पर हैं। एमडीडीए ने अतिक्रमण के दौरान हटाए गए परिवारों के पुनर्वास हेतु आवासीय योजनाएं भी शामिल हैं। शहर को और अधिक सुंदर बनाने के उद्देश्य से पर्यावरण-अनुकूल पहल भी की जा रही हैं। सहस्रधारा रोड पर लगभग 40 करोड़ रुपये की लागत से विकसित सिटी फॉरेस्ट पार्क शहर की नई पहचान बन रहा है, जहां वॉकवे, फूलों की क्यारियां, ट्री हाउस और कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। मसूरी में ईको पार्क और मॉल रोड के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ शहर में 69 पार्कों के विकास और हरियाली बढ़ाने की योजनाएं भी निरंतर जारी हैं।

 

*पौष्टिकता और गुणवत्ता का दूसरा नाम आंचल दूध*

प्रदर्शनी में आंचल दूध का स्टॉल भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आंचल दूध उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन का प्रतिष्ठित ब्रांड है, जिससे प्रदेश के लगभग 50 हजार लघु एवं सीमांत किसान जुड़े हुए हैं। स्टॉल पर मौजूद शिव बहादुर ने बताया कि देहरादून में आंचल के माध्यम से प्रतिदिन 15 हजार लीटर से अधिक दूध की आपूर्ति की जाती है, जबकि शहर में औसतन लगभग तीन लाख लीटर दूध की आवश्यकता होती है। आंचल का प्रयास है कि अधिक से अधिक किसानों को दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ डेयरी उत्पादों से भी जोड़ा जाए, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।

 

*भांग और कंडाली के रेशे से बने उत्पाद बने आकर्षण*

प्रदर्शनी में भारतीय ग्रामोत्थान, ऋषिकेश द्वारा प्रस्तुत हस्तशिल्प उत्पादों को भी खूब सराहा जा रहा है। इस स्टॉल पर भांग के रेशे से बने जैकेट और पहाड़ी भेड़ों की ऊन से तैयार गर्म कपड़े विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। पिछले 40 वर्षों से होजरी उत्पादों से जुड़े रामसेवक रतूड़ी का कहना है कि बाजार में उनके उत्पादों की अच्छी मांग है। इसके अलावा प्रदर्शनी में ओटीटी वीडियो अलर्ट, चीफ इलेक्शन ऑफिसर उत्तराखंड तथा राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल की फोटो प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

 

*44 पौराणिक मंदिरों की देखरेख कर रहा एएसआई*

उत्तराखंड देवभूमि के रूप में विश्वविख्यात है। यहां आदिकाल से पौराणिक और पांडवकालीन मंदिर विद्यमान हैं। चारधाम के अतिरिक्त मानस खंड मंदिरमाला सहित अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक मंदिर प्रदेश की पहचान हैं। प्रदर्शनी में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) द्वारा इन मंदिरों के संरक्षण और इतिहास की विस्तृत जानकारी दी गई है। एएसआई के श्यामचरण बेलवाल ने बताया कि प्रदेश के 44 मंदिरों की देखरेख वर्तमान में एएसआई द्वारा की जा रही है, जिनमें पांडुकेश्वर मंदिर, हनोल मंदिर और जागेश्वर धाम प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद एएसआई ने केदारनाथ धाम के उत्तर-पश्चिम और पश्चिम द्वार की मरम्मत कर मंदिर के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखा। बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान के अंतर्गत भी एएसआई द्वारा मंदिर की मूल संरचना को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है।

 

*मीनाक्षी ने एपण कला को दी नई पहचान*

रामनगर की मीनाक्षी ने ‘माइंडकीर्ति’ के माध्यम से न केवल पहाड़ की लोककला एपण को संरक्षण दिया है, बल्कि महिला सशक्तीकरण की एक सशक्त मिसाल भी प्रस्तुत की है। मीनाक्षी एपण कला में पारंगत हैं और उन्होंने इस पारंपरिक कला को देश-दुनिया तक पहुंचाया है। उनके अनुसार एपण को संरक्षित करने के साथ-साथ इसे रोजगार से जोड़ना भी उनका मुख्य उद्देश्य है। वर्तमान में उनके साथ 15 महिलाएं एपण कला से निर्मित विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही हैं। मीनाक्षी के अनुसार एपण की मांग विदेशों में भी बढ़ रही है। उन्होंने आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर और आईआईएम काशीपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी एपण वर्कशॉप का आयोजन किया है और वे लगातार इस कला को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं।

 

*आपदा में देवदूत बना एसडीआरएफ*

प्रदर्शनी में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) का स्टॉल भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यहां आपदा के समय उपयोग में आने वाले आधुनिक उपकरणों और आपदा प्रबंधन की कार्यप्रणाली की जानकारी दी गई। एसडीआरएफ के सब-इंस्पेक्टर अनूप रमोला ने बताया कि इस वर्ष अक्टूबर माह तक एसडीआरएफ द्वारा 780 रेस्क्यू ऑपरेशन किए गए, जिनमें 22,013 लोगों की जान बचाई गई। इसके साथ ही 339 शवों को भी रिकवर किया गया। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस बल के साथ मिलकर नियमित रूप से आपदा प्रबंधन की तकनीकों, चुनौतियों और रणनीतियों पर प्रशिक्षण और मंथन करता रहता है।

 

 

 

*पहाड़ के लोक जीवन का प्रतीक बना ‘सेल्फी प्वाइंट’*

पीआरएसआई के अधिवेशन में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना सेल्फी प्वाइंट, जो उत्तराखंड की लोक विरासत और संस्कृति की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है। इस सेल्फी प्वाइंट में पर्वतीय शैली में निर्मित पारंपरिक घर दर्शाया गया है, जिसमें ग्रामीण जीवन की सहजता और आत्मीयता दिखाई देती है। उत्तराखंड के लोग सादगी पसंद होते हैं और प्रकृति से गहरा लगाव रखते हैं। लकड़ी, पत्थर और स्लेट से बने ये पारंपरिक घर भूकंप और ठंड से सुरक्षा प्रदान करते हैं। नक्काशीदार दरवाजे-खिड़कियां और दो मंजिला संरचना दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित कर रही हैं। यह सेल्फी प्वाइंट ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा और वन्यजीव संरक्षण का संदेश भी देता है। देशभर से आए अतिथियों में इस सेल्फी प्वाइंट को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।